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ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

सोमवार, 13 जनवरी 2014

गुलाबों के साथ एक शाम

जनवरी 13, 2014
मध्यप्रदेश रोज सोसायटी संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी की ओर से बीते रविवार को जब मैं सपरिवार भोपाल स्थित शासकीय गुलाब उद्यान ...
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बुधवार, 1 जनवरी 2014

मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

शनिवार, 17 अगस्त 2013

सावन के झूले और उफनते नदी-नाले

अगस्त 17, 2013
ग्रीष्मकाल आया तो धरती पर रहने वाले प्राणी ही नहीं अपितु धरती भी झुलसने लगी। खेत-खलियान मुरझाये तो फसल कुम्हालाने लगी। घास सूखी तो फूलों...
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गुरुवार, 1 अगस्त 2013

घर से बाहर एक घर ||Ghar se Bahar ek Ghar|

अगस्त 01, 2013
हिन्दी साहित्य के प्रति मेरा रूझान बचपन से रहा है। बचपन में जब पाठशाला जाने से पहले दूसरे बच्चों की तरह हम भी घर में धमा-चौकड़ी मचाते हु...
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मंगलवार, 9 जुलाई 2013

हाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।

जुलाई 09, 2013
धैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है। लोहा आग में तपकर ही फौलाद बन पाता है।। एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं। जल...
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शनिवार, 22 जून 2013

संत कबीर

जून 22, 2013
       "यहु ऐसा संसार है, जैसा सेमर फूल।         दिन दस के ब्यौहार कौं, झूठे रंग न भूल।।"         दस दिन के जीवन पर मानव नाहक ह...
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गुरुवार, 6 जून 2013